सिवनी में हो रहा गली कूचे में सफेद पाउडर का अवैध कारोबार

राष्ट्र चंडिका,सिवनी । इस शहर में धीरे-धीरे अपराध और जुर्म मजबूती से अपनी जड़ें जमाने लगा है काले धंधे और उन धंधों से जुड़े कारनामें सरपरस्त दिनों दिन अपने दो नंबर के धंधों और अपने काले साम्राज्य को मजबूती से खड़ा कर रहे हैं शहर में हर तरफ काले काम अपराध और जुर्म परवान चढने लगे हैं और उन्हीं जुर्म में व्यापार भी अहम है शहर में सफेद पाउडर  के शौकीनों को चाहे जहाँ चिलम खींच के धुँआ उड़ाते देखा जा सकता है इन की तादाद में दिनों दिन वृद्धि होती दिखाई दे रही है सवाल यह है कि यह मादक पदार्थ मिलता कहाँ से है कौन उपलब्ध कराता है जब सफेद पाउडर के शौकीनों की तादाद बहुत ज्यादा है तो इन्हें बड़ी आसानी से यहाँ उपलब्ध भी होता होगा। इस मादक पदार्थ के हो रहे धंधों की कहानी शहर ने सफेद पाउडर का अवैध कारोबार दिनों दिन बिना रोक टोक पूर्ण शिद्दत से फल फूल रहा है और साथ ही इसमें लिप्त लोगों की किस्मत जो इस धंधे में सफेद पाउडर की तस्करी कर लाभ कमा रहे हैं इस नामुराद धंधों में एक नही कई गिरोह सक्रिय है आये दिन इस नशे की लत में एक नया युवा जुड़ रहा है जिसमें खासकर युवा वर्ग का समावेश अधिक है यह धंधा शहर में मजबूती से अपनी जड़ें जमा रहा है।
महानगरों की तर्ज ड्रग्स का फैल रहा कारोबार
नगर में इन दिनों एक कश के जुगाड़ में नवयुवक सुबह से शाम और शाम से रात तक इधर से उधर और कुछ भी करने को तैयार खड़े है कारण सिर्फ इतना है कि यह कश जो एक बार पी लेता है वह उसका आदी हो जाता है और फिर उसका एजेंट बन जाता है क्योंकि यह कश 100 से 1000 और 1000 से 10,000 तक का भी हो सकता होता है। जी हॉं यह वही नशा है जिसे महानगरों में ड्रग्स के नाम से जाना जाता है जिसमें सफेद पाउडर की मात्रा होती है जिसकी मात्रा के हिसाब से पुडिय़ा की कीमत तय होती है किंतु अब यह नशा सिवनी मेें अपने पांव पसार चुका है।
गरीब तबके के लोग बोनफिक्स सूंघ कर रहे है नशा
कुछ गरीब तबके के लोगों द्वारा बोनफिक्स के द्वारा भी नशाा किया जा रहा है जो कि साइकिल स्टोर्स में उपलब्ध बहुत ही घटिया किस्म का होता है जिस पर विभागीय अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है। झोपड़ पट्टियों में निवास करते है जो अपने घर के लोगों को नशा करते देखते है उन्हे भी नशे की ललत इस हद तक ले जाती है ये नैनीहाल जिनके स्कूल जाने की उम्र होती है वे सुलेशन और बोनफिक्स को एक कपड़े में निकलकर सूंघते है, जिससे इन नैनीहालों से पूछने पर कि ये क्या कर रहे हो तो बताया कि हम तीन चार साल से ये नशा कर रहे है। इससे हमें आराम मिलता है, इसके बगैर हम रह नहीं सकते एक बार सूंघने के बाद जितना नशा एक बोतल शराब पीने से मिलता है उतना नशा एक बार में मिलता है।
हर गली-कूचे में उपलब्ध है पुडिया,इंजेक्शन नगर में इन दिनों हर मोहल्ले ,पान ठेले में एक कश की पुड़िया उपलब्ध है जो कि अलग-अलग राशि के अनुसार होती है। इसी क्रम में बडे शहरों की अपेक्षा अब छोटे कस्बों के नवयुवक भी शराब के साथ साथ इंजेक्शन के आदि होते जा रहे है इससे इन्हे शुरू में तो काफी आराम मिलता है किंतु बाद में ये बगैर इस नशे के नही रह पाते है। धीरे धीरे यह नशा बढता जाता है आगे चलकर ये लोग इस नशे के चक्कर में अपने घर के बर्तन तक बेचकर नशा करते है, इस तरह एक व्यक्ति की खातिर पूरा घर बर्बाद हो जाता है।
हर वर्ग हो रहा आदी
अगर आज शहर में पुड़िया पीने वालों की गणना की जाएं तो यह संख्या हजार के ऊपर होगी जिसमें नगर के संभ्रांत परिवारों से लेकर एक गरीब मजदूर भी शामिल है अगर प्रशासनिक जांच की यही रफ्तार रही तो इस नशे के आदी नगर के युवाओं की संख्या कई गुना बढ जायेगी अगर जल्दी प्रशासन इस विषय में नहीं जागा तो हर दूसरे घर में इस नशे का आदी एक व्यक्ति होगा और यह नशा ऐसा है कि परिवार का एक सदस्य अगर इसका आदी हो तो पूरा परिवार इसकी सजा भुगतता है।
समाजसेवी निष्क्रिय – जहां एक तरफ नगर में कई एनजीओ खुले हुए हैं ये खाली नाममात्र के एनजीओ समझ मे आते है जब कि इन समाजसेवी संस्थाओं का ध्यान इन नैनीहाल बच्चों के तरफ एवं नवयुवकों की तरफ इनकों सुधारने हेतु किया जाना चाहिए परंतु इनकी तरफ इन लोगों का ध्यान बिल्कुल नहीं जाता है ना ही प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जा रहा है यदि यही हाल रहा तो देश का भविष्य का क्या होगा इसका जबाब किसी के पास नही होगा। समय रहते प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए इन जहरीले पदार्थों पर रोक लगाना होगा अन्यथा ये जहरीली चीजें एक दिन सबको अपनी जकड़ में ले लेगा।
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