इंदौर। मैत्री की नींव पर ही धार्मिकता की मंजिल खड़ी की जा सकती है। मैत्री ही धर्म का असली प्राण और साधना का राजमार्ग है। प्राणी मात्र के साथ निष्काम और निस्वार्थ भाव से की गई मैत्री ही सच्ची मैत्री है। उसी में धर्म और मोक्ष का निवास है।
यह बात कमलमुनि कमलेश महाराज ने कही। वे जैन साधना भवन स्कीम नंबर 71 में धर्म सभा मे संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म, पद और प्रतिष्ठा को सामने रखकर की गई मैत्री पाप का संचय करती है ।इससे आत्मा का पतन होता है।
मैत्री के अभाव में की गई आराधन साधना सब व्यर्थ है। मैत्री को ठुकराना परमात्मा का अपमान करने के समान है। जैन संत ने कहा कि कष्ट देने वाले, अपमान और तिरस्कार करने वाले व्यक्ति के प्रति भी मैत्री भाव अपने दिल में छलकता हो तो इससे बड़ा और कोई धर्म नहीं हो सकता है।
तुर्की और हरियाणा निवासी राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अख्तर भाई रावल गोहत्या विरोधी मिशन में काम करते है । हरियाणा में कई मुस्लिम समुदाय में गोहत्या पर एक लाख रुपये का जुर्माना किया जाता हैं। इस मौके पर बाबूलाल पितलिया, अनिल बरड़िया, अशोक सखलेचा, अनिल बोथरा, पदम तांतेड़, कनक बांठिया, जयेन्द्र जैन आदि बड़ी संख्या में गणमान्य समाजजन उपस्थित थे। संचालन अनिल बरडिया ने किया।
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