जबलपुर। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग (जीएसटी) में सीबीआइ की कार्रवाई बुधवार की सुबह तीन बजे खत्म हुई। करीब दस घंटे चली इस कार्रवाई में सीबीआइ ने जीएसटी अधीक्षक समेत पांच लोगों को हिरासत में लिया। ये सभी सात लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए। दफ्तर के अलावा इन आरोपितों के घरों में छापेमारी हुई जहां से करीब 83 लाख रुपये नकद भी बरामद हुए। सीबीआइ बुधवार को मामले में अधीक्षक कपिल कांबले, अधीक्षक सौमेन गोस्वामी, इंस्पेक्टर विकास गुप्ता, प्रदीप हजारी, वीरेंद्र जैन को सीबीआइ कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया, जहां से सीबीआइ को 20 जून तक आरोपितों की रिमांड मिली है। जांच में पता चला कि जीएसटी के अफसर वाट्सअप काल के जरिए ही रिश्वत की सौदेबाजी किया करते थे। शिकायतकर्ता से भी वाट्सकाल के जरिए ही पैसे की मांग हुई थी। शिकायतकर्ता ने वाट्सअप काल की रिकार्डिंग कर सबूत के तौर सीबीआई को दिया था। जिसके बाद सीबीआइ ने भी अपने स्तर पर बातचीत की रिकार्डिंग की और छापेमारी की योजना बनाई।
क्या है मामलाः
दमोह नोहटा में गोपन तंबाकू प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड में विगत 18 मई को जीएसटी ने जांच की। शाम सात बजे यह कार्रवाई हुई और जीएसटी चोरी के मामले में फैक्ट्री को सीज कर दिया गया। छापेमारी जीएसटी प्रिवंटी ब्रांच के अधीक्षक कपिल कांबले समेत 11 अफसरों ने की। बाद में फैक्ट्री के मैनेजर अधिकारियों से मिले और फैक्ट्री सीज रिलीज आर्डर के लिए बातचीत की। कपिल कांबले से इस संबंध में वाट्सअप पर बातचीत भी मैनेजर भागीरथ और गिरीराज के साथ हुई। अफसरों ने पहले एक करोड़ रुपये की मांग की बाद में 35 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। इस बीच सीबीआइ एसपी रिचपाल सिंह से रिश्वत की शिकायत की गई। एक हफ्ते पहले शिकायतकर्ता ने 25 लाख रुपये नकद जीएसटी आफिस में जाकर दिया गया। अंतिम किश्त के दस लाख रुपये देने के बाद रिलीज आर्डर जारी होना था। अंतिम किश्त का सात लाख रुपये देने फैक्ट्री के मैनेजर भागीरथ और गिरीराज मंगलवार की शाम जीएसटी आफिस पहुंचे। उन्होंने थैले में पैसा दिया जिसे अफसर गिन ही रहे थे तभी सीबीआइ की टीम ने छापा मारकर पकड़ा। त्रिलोकचंद सेन के मैनेजर ने 12 जून को जबलपुर स्थित सीबीआइ को लिखित शिकायत की। कार्रवाई पर आशंका जताई। इस पर जबलपुर एसपी रिचपाल सिंह ने नागपुर की सीबीआइ टीम से इस मामले में मदद मांगी ।
दूसरे फोन से किया काल रिकार्डः
सीबीआइ को शिकायतकर्ता की तरफ से जो सबूत बातचीत के दिए थे उसमें वाट्सअप काल रिकार्ड था। फैक्ट्री के मालिक त्रिलोक सेन ने बताया कि उसने अपने मैनेजर के जरिए तीन जून को वाट्सअप पर जीएसटी अधीक्षक कपिल कांबले से बातचीत करवाई। वाट्सअप पर बातचीत के दौरान दूसरे मोबाइल से रिकार्डिंग की गई। जिसके सबूत सीबीआइ को दिए गए। बातचीत में अंतिम किश्त दस लाख रुपये की व्यवस्था नहीं होने की बात मैनेजर ने कहीं जिस पर जीएसटी अफसर पहले नाराज हुए और बाद में सौदा सात लाख रुपये में तय हो गया। रिकार्डिंग में अफसर और शिकायतकर्ता की बातचीत में पैसों के लेनदेन का साफ जिक्र हुआ। इसके बाद भी सीबीआइ ने अपने स्तर पर पुष्टि की। उन्होंने डिजिटल वाइस रिकार्डर की मदद से सिम को अपने विशेष डिवाइस में लगाया और फिर वाट्स अप पर दोबारा जीएसटी अफसर से बातचीत करवाई। जिसमें अफसर ने पैसे लाने की बात कही। पुष्टि होने के बाद सीबीआइ टीम ने छापेमारी की रणनीति बनाई।
घर में लाखों मिले
जीएसटी के दफ्तर में सीबीआइ टीम को रात तीन बजे तक रही। 10 घंटे की जांच में टीम ने पाया कि कपिल कांबले का पद अधीक्षक का था लेकिन उसका रुतबा काफी था। टीम को कांबले के रांझी स्थित घर से तीन लाख रुपए मिले हैं। इंस्पेक्टर प्रदीप हजारी के घर से 41 लाख रुपये, उसके आफिस केबिन से 16.88 लाख रुपये बरामद हुए। इंस्पेक्टर विकास गुप्ता के घर से 18.29 लाख रुपये, उसके आफिस केबिन से 1.50 लाख रुपये मिले हैं। वही इंस्पेक्टर वीरेंद्र जैन के ऑफिस केबिन से 2.60 लाख रुपए मिले है। इन अधिकारियों ने अपने घरों में 62.29 लाख रुपये जमा कर रखे थे। जबकि ऑफिस में 20.97 लाख रुपये रखे थे। सौमेन गोस्वामी सिविल लाइन में, प्रदीप हजारी अधारताल, विकास गुप्ता गढ़ा और वीरेंद्र जैन राईट टाउन में रहते हैं।
रिश्वत में मिले कटे-फटे नोट बदलवाए
जीएसटी अफसरों ने रिश्वत की पहली किश्त में मिले 25 लाख रुपए की गिनती दफ्तर में ही की थी। बता दे कि रात दो बजे तक कपिल और उनके इंस्पेक्टर कार्यालय में ही गिनते रहे। ये सभी नोट 500-500 रुपए के थे। गड्डी में 17 हजार रुपए ऐसे निकले, जो फटे थे या फिर उनमें तेल लगा हुआ था। फैक्ट्री मैनेजर के मुताबिक, 6 जून को उन्होंने इन नोटों को बदलकर दिया। 10 जून 2023 की रात कपिल कांबले ने गिरिराज को वाट्सअप काल किया। बाकी 10 लाख रुपए तुरंत देने के लिए कहा। 12 जून 2023 फिर बात की, तब रिश्वत की राशि घटाकर सात लाख रुपये कर दी।
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