भोपाल। मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के तहत निजी संस्थाओं में प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को राज्य सरकार 75 प्रतिशत राशि देगी। शेष 25 प्रतिशत राशि संबंधित निजी संस्थान देगा। राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के पोर्टल में भी इसके प्रविधान कर दिए हैं। इसके तहत 18 से 29 साल के युवाओं को निजी क्षेत्र में देश-प्रदेश के ऐसे औद्योगिक प्रतिष्ठान एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान जिनके पास पैन और जीएसटी नंबर हैं, उनके द्वारा ही प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।
योजना प्रोपराइटरशिप, कंपनी, पार्टनरशिप, ट्रस्ट, समिति आदि समस्त श्रेणी के निजी संस्थानों पर लागू होगी। प्रतिष्ठान अपने कुल कार्य-बल के 15 प्रतिशत की संख्या तक प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दे सकते हैं। जिन प्रतिष्ठानों में कम से कम 20 लोग नियमित रूप से कार्यरत हों, उनके कुल कार्य-बल की गणना ईपीएफ जमा करने के आधार पर की जाएगी। युवाओं को स्टायपेंड एक वर्ष तक दिया जाएगा।
प्रतिष्ठान को स्टायपेंड की 25 प्रतिशत राशि चयनित युवा के बैंक खाते में जमा करनी होगी तथा शेष 75 प्रतिशत राशि राज्य सरकार डीबीटी के तहत युवा के बैंक खाते में जमा करेगी। प्रतिष्ठान अपनी ओर से निर्धारित राशि से अधिक स्टायपेंड देने के लिए स्वतंत्र होंगे। प्रशिक्षण की निर्धारित अवधि तक यह स्टायपेंड दिया जाएगा। 12वीं या उससे कम कक्षा में उत्तीर्ण युवा को आठ हजार रुपये, आइटीआइ उत्तीर्ण युवा को आठ हजार 500 रुपये, डिप्लोमा उत्तीर्ण को नौ हजार रुपये एवं स्नातक उत्तीर्ण या इससे उच्च को 10 हजार रुपये प्रतिमाह स्टायपेंड दिया जाएगा।
15 जून से पंजीयन और जुलाई से शुरू होंगे युवाओं के प्लेसमेंट
‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ के अंतर्गत मध्य प्रदेश के युवाओं के लिए लर्न एंड अर्न की तर्ज पर रोजगार दिलाने के साथ ही कौशल सिखाया जाएगा। योजना में प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं का पंजीयन सात जून से शुरू हो चुका है और युवाओं का पंजीयन 15 जून से शुरू होगा। युवाओं का प्लेसमेंट 15 जुलाई से होगा। राज्य शासन और ट्रेनिंग देने वाली संस्थाओं के मध्य 31 जुलाई को अनुबंध होगा। योजना में युवाओं को एक अगस्त से प्रशिक्षण दिया जाना शुरू हो जाएगा।
एक लाख युवाओं को 703 चिह्नित क्षेत्रों में दक्ष करने के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण
‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना’ में एक लाख युवाओं को 703 चिह्नित क्षेत्रों में दक्ष करने का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकेगा। इनमें विनिर्माण क्षेत्र, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, सिविल, प्रबंधन, मार्केटिंग, होटल मैनेजमेंट, टूरिज्म, ट्रायबल, अस्पताल, रेलवे, आइटी सेक्टर, साफ्टवेयर डेवलपमेंट, बैंकिंग, बीमा, लेखा, चार्टर्ड अकाउंटेंट, मीडिया, कला, कानूनी और विधि सेवाएं, शिक्षा प्रशिक्षण, सेवा क्षेत्र में कार्यरत प्रतिष्ठान आदि को शामिल किया गया है।
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