भोपाल। राजधानी में अतिक्रमण की वजह से नाले संकरे हो गए हैं। शहर के 600 से अधिक छोटे-बड़े नालों के किनारे 25 हजार से अधिक अतिक्रमण है। नाले की जमीन पर कब्जा कर लोगों ने मकान और दुकानें बनवा दी है। लेकिन इनको हटाने में नगर निगम के अधिकारी लापरवाही करते हैं, जिससे यहां हर वर्ष वर्षा काल में जलभराव की वजह से नाव चलाली पड़ती है। इधर मानसून पूर्व नगर निगम पाेकलेन और जेसीबी से नालों की सफाई और गहरीकरण भी करवाता है, लेकिन आठ जून बीतने के बाद भी अब तक ना तो नालों की सफाई शुरु हुई और ना ही इनका गहरीकरण। ऐसे में इस बार नालों में जलभराव की वजह से निचली बस्तियों के लोगों को खासी परेशानी होगी।
15 वर्षों में गायब हो गए 150 नाले
नगर निगम के द्वारा बीते साल नालों पर किए गए सर्वे में सामने आया है कि वर्ष 2005 में 789 नाले थे, जिनकी संख्या घटकर 2021 में लगभग 642 हो गई है। बहुत से नाले या तो कागजों पर बचे हैं या वे अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खो चुके हैं। अधिकतर नाले जो 15 फीट चौड़े थे, अतिक्रमण की वजह से वो अब 5-6 फीट के हो चुके हैं। जिसके चलते तेज बारिश में जल बहाव में समय लगता है और जल भराव की स्थिति बन जाती है।
नालों पर 25 हजार से अधिक अतिक्रमण
शहर में नालों पर छोटे-बड़े कुल मिलाकर लगभग 25 हजार से ज्यादा अतिक्रमण हैं और अधिकतर अतिक्रमण प्रभावशाली लोगों ने कर रखा है। इस मामले में सन 1984 के आसपास जे. जगतपति की एक जांच रिपोर्ट भी विधानसभा पटल पर रखी गई थी। उस रिपोर्ट के अनुसार 1984 में भोपाल में लगभग 184 बड़े नालों पर अतिक्रमण किया गया था, लेकिन तब से अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका असर यह रहा कि दिनों-दिन नालों पर अतिक्रमण बढ़ता गया। 1984 से 2021 के बीच नालों पर 25 हजार से अधिक अतिक्रमण हो गए।
साफ-सफाई और गहरीकरण का काम प्रभावित
नालों पर अतिक्रमण नहीं हटने से ना तो इनकी साफ-सफाई हो रही है और ना ही गहरीकरण का काम हो पाया। ऐसे में नाले संकरे होते जा रहे हैं। एमपी नगर, ग्यारह नंबर समेत अन्य स्थानों पर नालों पर अतिक्रमण की वजह से बारिस का पानी नहीं निकल पाता है। ये पानी सड़क और लोगों के घर में जाता है।
यहां होती है हर वर्ष जलभराव की समस्या
अवधपुरी में वायु रायल एन्क्लेव एवं सौम्या ग्रीन सिटी, महामाई का बाग, चांदबड़, बजरिया, दानिश नगर कालोनी, सैफिया कालेज के पास, ज्योति टाकीज चौराहा, तुलसी नगर, सिंधी कालोनी चौराहा, साजिदा नगर, अशोका गार्डन, बरखेड़ी फाटक, जाटखेड़ी, शाहपुरा, शिव नगर करोंद, घोड़ा नक्कास समेत 200 से अधिक कालोनियों और सड़कों में जलभराव की समस्या होती है।
जलभराव की मुख्य वजह
नालों के ऊपर घर-दुकानें बन गए हैं। ऐसे में पानी निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं बची है। एमपी नगर समेत अन्य क्षेत्रों में सड़क के बगल में नालियां नहीं बनाई गई हैं। जबकि ड्रेनेज के लिए सरफेस वाटर लेन बनाना चाहिए। नालों की सही ढंग से सफाई और गहरीकरण नहीं किया गया है। जबकि इसके लिए जोन स्तर पर नाला गैंग बनाई गई है। नाले और तालाब किनारे ही मकान बन गए हैं। जबकि इसके तीन फीट दूरी पर घर या दुकानें बनाने का नियम है। राजधानी में सड़कों की ऊंचाई अधिक है और दुकान-मकान की कम है। इससे सड़क का पानी लोगों के घरों में भरता है। कई कालोनियों में सीवेज सिस्टम खस्ताहाल है। यहां ड्रनेज सिस्टम भी नहीं है। बस्तियां निचले क्षेत्रों में हैं।
इनका कहना है
मानसून आने से पहले नगर निगम द्वारा नालों की साफ-सफाई और गहरीकरण का काम किया जा रहा है। जहां आवश्यकता है, नालों की मरम्मत की जा रही है। निगम के अधिकारियों द्वारा नालों के अतिक्रमण का निरीक्षण किया गया है। कुछ मामले कोर्ट में लंबित हैं, इन्हें छोड़कर अन्य नालों से अतिक्रमण हटाने की जल्द कार्रवाई शुरु होगी।
-केवीएस चौधरी, आयुक्त नगर निगम
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