देश में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में : शाह 

जगदलपुर । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 84वें सीआरपीएफ दिवस के मौके पर देश की आंतरिक सुरक्षा में सीआरपीएफ के योगदान और सुरक्षित रूप से जिम्मेदारी निभाने के लिए सराहना की। 84वें सीआरपीएफ दिवस के मौके पर शाह ने कहा, पहली बार किसी नक्सली इलाके में सीआरपीएफ दिवस मनाया जा रहा है। सीआरपीएफ ने देश की आंतरिक सुरक्षा में योगदान दिया है। राष्ट्र महिला सीआरपीएफ कर्मियों को सलाम करता है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ ने देश में पिछले चुनावों के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि सीआरपीएफ ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और देश के कई इलाकों में उन्हें ढेर किया है। लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है, जब इस विश्वसनीय तरीके से संरक्षित किया जाए। अन्य सीएपीएफ के साथ-साथ देश में शांतिपूर्ण चुनाव कराने में सीआरपीएफ का योगदान आवश्यक है। उन्होंने कहा, पिछले कई चुनावों में सीआरपीएफ कर्मियों ने हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुरक्षित रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी निभाई है।
शाह ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में सीआरपीएफ जवानों को श्रद्धांजलि दी। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, इसके लिए भाजपा ने आगामी चुनावों के प्रचार के लिए गति पकड़ ली है। छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान में शामिल सुरक्षा बलों को शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली, सुकमा क्षेत्र में दो महिलाओं सहित 16 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि देश में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई जीत के अंतिम चरण में नजर आ रही है और इसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों के सर्वोच्च बलिदान का बहुत बड़ा योगदान है। शाह ने बल से अनुरोध किया कि जब तक इस खतरे का पूरी तरह से सफाया नहीं होता वे वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई बहादुरी से जारी रखें। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में सीआरपीएफ की भूमिका पर प्रकाश डालकर उन्होंने कहा कि माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास की राह में आने वाली बाधाओं को दूर करने का श्रेय सीआरपीएफ कर्मियों को जाता है।
शाह ने कहा, सीआरपीएफ ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी और सभी मोर्चों पर सफलता हासिल की। बल ने स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर संगठनात्मक कौशल का भी उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि 2010 की तुलना में देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा की घटनाओं में 76 फीसदी की कमी आई है और साथ ही जान हानि (आम लोग और सुरक्षा कर्मी) में भी 78 फीसदी की कमी आई है।

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